बहुत से लोगों को यह पता ही नहीं होता कि वास्तव में ‘व्यवसाय करना’ मतलब हमें हर रोज क्या करना होता है। इसलिए वे कहते हैं कि हम व्यवसाय तो कर रहे हैं, लेकिन कुछ हो नहीं रहा।
प्रत्येक उद्यमी अपना एक व्यवसाय चलाता है, अर्थात सामने आने वाले कार्यों को पूरा करता है। या एक कर्मचारी की तरह अपना शेड्यूल बनाता है और उसका पालन करता है। दिन-ब-दिन एक ही दिनचर्या जारी रखते हुए, वह सोचता है कि वह एक व्यवसाय चला रहा है।
एक उद्यमी अपने व्यवसाय में अपने अनुभव के आधार पर कुछ प्रक्रियाएँ निर्धारित करता हैं। उन प्रक्रियाओं का पालन करने से उसका व्यवसाय होता है। यह बात सही है, लेकिन इसे वास्तविक अर्थों में व्यापार या व्यवसाय करना नहीं कहा जा सकता।
व्यवसाय करने का मतलब है उसमें शामिल कार्य, नए अवसरों की खोज, अनुसंधान, नए उत्पाद या सेवा का विकास। इन गतिविधियों से बिक्री के आंकड़ों में निरंतर वृद्धि होनी चाहिए। केवक बिक्री ही नहीं बल्कि उसके साथ-साथ मुनाफा भी बढ़ना चाहिए।
ध्यान रखें कि यदि एक तरफ बिक्री बढ़ रही है और दूसरी तरफ मुनाफा कम हो रहा है इसका मतलब घाटा बढ़ रहा है। ऐसा ही चलता रहा तो आपका व्यवसाय भविष्य में बंद हो जाएगा। टेक्नोलॉजी based स्टार्टअप विकास और हानि के इस गणित के अपवाद हो सकते हैं, क्योंकि उनका पूरा खेल प्रॉफिट की आंकड़ों पर नहीं तो मूल्यांकन (startup valuation) पर टिका है।
यदि आप सामान्य तथा पारंपरिक व्यवसाय चला रहे हैं तो अपने व्यवसाय के साथ-साथ बिक्री और मुनाफा बढ़ाने पर जरूर ध्यान दें।
अपनी टीम को अपने ध्येय से जोड़ो
व्यवसाय में मीटिंग, चर्चाएँ, लक्ष्य निर्धारित करना और उनकी समीक्षा करना बहुत महत्वपूर्ण है। आपकी बैठकें मुद्दे पर आधारित होनी चाहिए और स्पष्ट नीतियों का पालन होना चाहिए। अलग-अलग समूहों के साथ बैठकें की जानी चाहिए।
इससे आपको अपने स्वयं के व्यवसाय के कई पहलुओं का एहसास होगा और यह व्यवसाय वृद्धि के लिए लाभदायी होगा। जैसे पार्टनर्स के साथ मीटिंग, सहकर्मियों के साथ मीटिंग, सेल्स टीम के साथ मीटिंग, प्रोडक्शन टीम के साथ मीटिंग, आपको अलग-अलग समूहों के साथ चर्चा करनी चाहिए।
आपने व्यवसाय का तथा स्वयं का जो लक्ष्य निर्धारित किया होगा, उस लक्ष्य को वर्ष, माह, सप्ताह जैसे टुकड़ों में बाँट लेना चाहिए। जब आप अलग-अलग समूहों से बात करें तो उन्हें कंपनी के मिशन के बारे में जानकारी दें। उन्हें भी उसमे सहभागी करें। उन्हें उनकी भूमिका या लक्ष्य से अवगत कराए। इस तरह आपका व्यवसाय सिर्फ आपका नहीं, बल्कि पूरी टीम का हो जाएगा और सभी के प्रयास से लक्ष्य की प्राप्ति संभव होगी।
व्यवसाय में समीक्षाएँ बहुत महत्वपूर्ण हैं। जो हुआ उसकी समीक्षा करें। एक उद्यमी के रूप में अपने स्तर पर यह समीक्षा तो करें बल्कि विभिन्न टीमों के साथ भी करें। इससे पता चलेगा की हम कहां चूक रहें हैं? क्या ग़लत हो रहा है? इसमें क्या सुधार किया जा सकता है? और आपका लक्ष्य अधिक यथार्थवादी बनेगा।
नये मार्केट की खोज
आप जो व्यवसाय कर रहे हैं उसके लिए आपने एक बाज़ार परिभाषित किया होगा। इस बाज़ार का अर्थ है भौगोलिक सीमाएँ, उपभोक्ता वर्ग, स्त्री-पुरुष, आयु आदि। आपको अपने मार्केट का विस्तार करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, यदि आप बच्चों के लिए कोई उत्पाद विकसित कर रहे हो, तो आपको धीरे-धीरे किशोरों के लिए भी एक उत्पाद विकसित करना चाहिए।
यदि आपका व्यापार किसी एक जिले के लिए तक है, तो आपको एक-एक करके जिलों को बढ़ाना चाहिए। व्यापार तभी बढ़ेगा जब ऐसे बाजार का विस्तार होगा और व्यापार बढ़ रहा है इसका मतलब है कि आप व्यवसाय कर रहे हैं।